शाबर मंत्र साधना प्रारंभ करने से पूर्व ‘शाबर-मेरू-तंत्र’ का या ‘सर्वार्थ साधक मंत्र’ या सुमेरू मंत्र का जप
अत्यंत आवश्यक है;
अत्यंत आवश्यक है;
क्योंकि यह मंत्र उच्च कोटि के गुरुओं के अभाव व साधक की आवश्यक योग्यता की पूर्णता का प्रतीक है।
यह मंत्र इस प्रकार है:-
गुरु शठ, गुरु शठ, गुरु है वीर। गुरु साहब सुमरों बड़ी भांत। सिङ्गी टोरों बन कहां। मन नाउ करतार।
सकल गुरुन की हर भले। घट्टा पकर उठा जाग। चेत संभार श्री परमहंस।
सकल गुरुन की हर भले। घट्टा पकर उठा जाग। चेत संभार श्री परमहंस।
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साधकों को जो पाठ जैसा मुद्रित है उसी के अनुसार जप करना चाहिए। जप 108 या 1008 बार करें
और जप के बाद घृत मिश्रित गुग्गुल से आहुति भी 108 बार दें। एक बात विशेष स्मरणीय रहे जब जितना अधिक होगा
उसका प्रभाव उतना ही जल्दी होगा। शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र शाबर-मेरू-तंत्र का जप करने के बाद
शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र का भी 108 बार जप करना चाहिए इससे पूर्ण सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
और जप के बाद घृत मिश्रित गुग्गुल से आहुति भी 108 बार दें। एक बात विशेष स्मरणीय रहे जब जितना अधिक होगा
उसका प्रभाव उतना ही जल्दी होगा। शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र शाबर-मेरू-तंत्र का जप करने के बाद
शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र का भी 108 बार जप करना चाहिए इससे पूर्ण सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
शाबर सुरक्षा का उत्कृष्ट मंत्र:
ऊँ नमो आदेश गुरुन को, ईश्वरी वाचा। अजरी-बजरी बाडा बजरी, मैं बज्जरी। बांधा दशौ दुवार छवा। और को घालो,
तो पलट हनुमन्त वीर उसी को मारे। पहली चैकी गनपति, दूजी चैकी हनुमंत,
तीजी चैकी में भैरों, चैथी चैकी देव रक्षा करन को आवें श्रीनरसिंह देव जी। शब्द सांचा, चले मंत्र ईश्वरी वाचा।
तो पलट हनुमन्त वीर उसी को मारे। पहली चैकी गनपति, दूजी चैकी हनुमंत,
तीजी चैकी में भैरों, चैथी चैकी देव रक्षा करन को आवें श्रीनरसिंह देव जी। शब्द सांचा, चले मंत्र ईश्वरी वाचा।
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आगे जब किसी भी प्रकार की शाबर-साधना करें, तब उक्त शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र’ को केवल 7 बार जपकर स्व देह
का स्पर्श करंे या फूंक लें। स्वदेही पर अथवा जल अभिमंत्रित कर आस-पास चारों तरफ छिड़क लें
या फिर जल से अपने चारों तरफ रेखा खींचे। ऐसा करने से साधना निर्विघ्न और शीघ्र सफल होगी,
इसमें संदेह नहीं।
का स्पर्श करंे या फूंक लें। स्वदेही पर अथवा जल अभिमंत्रित कर आस-पास चारों तरफ छिड़क लें
या फिर जल से अपने चारों तरफ रेखा खींचे। ऐसा करने से साधना निर्विघ्न और शीघ्र सफल होगी,
इसमें संदेह नहीं।
साधना-रक्षक-मंत्र प्रयोग मंत्र - ऊँ नमो सर्वार्थ-साधिनी स्वाहा।
इस मंत्र का ग्रहण काल में 12500 की संख्या में जप करें। दशांश हवन (1250 मंत्र), दशांश तर्पण (125 मंत्र),
दशांश मार्जन (13 मंत्र) और 2 ब्राह्मणों को भोजन करायें। ब्राह्मण भोजन जितना अधिक होगा,
मंत्र का प्रभाव भी उतना ही अधिक होगा। फिर आवश्यकता पड़ने पर जब किसी शाबर मंत्र का अनुष्ठान करें
तब अपने आस-पास 27 बार या
दशांश मार्जन (13 मंत्र) और 2 ब्राह्मणों को भोजन करायें। ब्राह्मण भोजन जितना अधिक होगा,
मंत्र का प्रभाव भी उतना ही अधिक होगा। फिर आवश्यकता पड़ने पर जब किसी शाबर मंत्र का अनुष्ठान करें
तब अपने आस-पास 27 बार या