Sunday 28 May 2017

शाबर मंत्र साधना प्रारंभ करने से पूर्व

शाबर मंत्र साधना प्रारंभ करने से पूर्व ‘शाबर-मेरू-तंत्र’ का या ‘सर्वार्थ साधक मंत्र’ या सुमेरू मंत्र का जप 
अत्यंत आवश्यक है
क्योंकि यह मंत्र उच्च कोटि के गुरुओं के अभाव व साधक की आवश्यक योग्यता की पूर्णता का प्रतीक है।

यह मंत्र इस प्रकार है:-

गुरु शठगुरु शठगुरु है वीर। गुरु साहब सुमरों बड़ी भांत। सिङ्गी टोरों बन कहां। मन नाउ करतार।
 सकल गुरुन की हर भले।  घट्टा पकर उठा जाग। चेत संभार श्री परमहंस।
। 
साधकों को जो पाठ जैसा मुद्रित है उसी के अनुसार जप करना चाहिए। जप 108 या 1008 बार करें
और जप के बाद घृत मिश्रित गुग्गुल से आहुति भी 108 बार दें। एक बात विशेष स्मरणीय रहे जब जितना अधिक होगा
उसका प्रभाव उतना ही जल्दी होगा। शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र शाबर-मेरू-तंत्र का जप करने के बाद
शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र का भी 108 बार जप करना चाहिए इससे पूर्ण सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
शाबर सुरक्षा का उत्कृष्ट मंत्र:

ऊँ नमो आदेश गुरुन कोईश्वरी वाचा। अजरी-बजरी बाडा बजरीमैं बज्जरी। बांधा दशौ दुवार छवा। और को घालो,
तो पलट हनुमन्त वीर उसी को मारे। पहली चैकी गनपतिदूजी चैकी हनुमंत
तीजी चैकी में भैरोंचैथी चैकी देव रक्षा करन को आवें श्रीनरसिंह देव जी। शब्द सांचाचले मंत्र ईश्वरी वाचा।
 आगे जब किसी भी प्रकार की शाबर-साधना करेंतब उक्त शाबर-सुरक्षा-कवच-मंत्र’ को केवल 7 बार जपकर स्व देह
 का स्पर्श करंे या फूंक लें। स्वदेही पर अथवा जल अभिमंत्रित कर आस-पास चारों तरफ छिड़क लें
 या फिर जल से अपने चारों तरफ रेखा खींचे। ऐसा करने से साधना निर्विघ्न और शीघ्र सफल होगी,
 इसमें संदेह नहीं।

साधना-रक्षक-मंत्र प्रयोग मंत्र - ऊँ नमो सर्वार्थ-साधिनी स्वाहा।



इस मंत्र का ग्रहण काल में 12500 की संख्या में जप करें। दशांश हवन (1250 मंत्र)दशांश तर्पण (125 मंत्र),
दशांश मार्जन (13 मंत्र) और 2 ब्राह्मणों को भोजन करायें। ब्राह्मण भोजन जितना अधिक होगा,
 मंत्र का प्रभाव भी उतना ही अधिक होगा। फिर आवश्यकता पड़ने पर जब किसी शाबर मंत्र का अनुष्ठान करें
 तब अपने आस-पास 27 बार या 

सर्व-शाबर मंत्रसिद्धी.(एवं तंत्र बाधा निवारण साधना)

किसी भी शाबर मंत्र को सिद्ध करने के लिये एक विधी-विधान दे रहा हू और साथ मे तंत्र बाधा निवारण का मंत्र दे रहा हू.प्रत्येक शाबर मंत्र के जाप से पूर्व निम्न प्रकार का विधी करे तो अवश्य ही सफलता मिलने हेतु विधी से मदत मिलता है.यह विधी करने से नवनाथ भगवान का विशेष कृपा प्राप्त होता है और मंत्र सिद्ध हो जाते है.


सर्वार्थ साधक मंत्र गुरू मंत्र के तराहा ही कल्पवृक्ष है जो किसी भी शाबर मंत्र मे सफलता देने हेतु साहाय्यक माना जाता है.

सर्वार्थ साधक मंत्र की 21 बार जप करे,
मंत्र-
|| गुरु सठ गुरु सठ गुरु है वीर, गुरु साहब सुमरौ बड़ी भांत,सिङ्गि टोरों बन कहौं,मन नाऊ करतार सकल गुरु की हर भजे, घट्टा पाकर उठ जाग चेत सम्भार श्री परम हंस ||




इस के बाद देह रक्षा की मंत्र 11बार पढे ताकी आपको किसी भी शत्की से कोई हानी ना हो.
देह रक्षा मंत्र-
||जीवन मरण है तेरो हात ,भैरो वीर तू हो
जा मेरे साथ,रखियो वीर तुम भक्त की लाज , बिगाड़ न पावे कोई मेरो काज,दुहाई लूना चमारिन की दुहाई कामख्या माई की दुहाई गौरा पार्वती की चौरासी सिद्धो को आदेश आदेश आदेश ||



इस के बाद आसन किलन मंत्र का जाप 11 बार करे और आसन का पुजन करे.
आसन किलन मंत्र-
||धरती किलूं पाताल किलूं , किलूं सातो आसमान , चौरासी सिद्धों के आदेश से आसन किलूं ना हो अपमान,लूना चमारिन की आन है गुरु गोरख की यह शान है||




इस के बाद एक लोहे का किल लेकर
अपने चारो और गोल घेर बना ले जिससे आपका सुरक्षा होगा.
घेर मंत्र-
||जो घेड़ा तोड़ घर मह घुसे ;रक्त काली उसका रक्त चुसे,दुहाई माँ कामख्या की,दुहाई माँ कामख्या की,दुहाई माँ कामख्या की||



इस के बाद दशो दिशाओं को बांध दे ताकी साधना मे कोई बाधा उत्पन्न ना हो और इसके लिये मंत्र बोलते हुए अष्टगंध से मिश्रित चावल को दसो दिशा मे एक-एक बार मंत्र बोलते हुए छीडकना है.
दिशा बांधने का मंत्र-
||ॐ वज्र क्रोधाय महा दन्ताय दश दिशों बंध बंध हुं फट स्वाहा||



अब एक आसन बिछा के उसके उपर एक बाजोट रखे और बाजोट के ऊपर एक थाली की ऊपर नौ पान की पत्ते और पत्ते की उपर नौ दीपक,बिच में एक गोल पात्र जिसमे धुनी जलाया जा सके ठीक वैसा ही करना है. पान के पत्ते पे एक एक सुपारी लौंग, इलाइची,पतासे और एक रूपया का सिक्का रखे दे,दीपक में घी या मीठा तेल डाल कर धूप बत्ती लगा के रखे बीच में धुनी जलादे और धुनी जलाते वक्त यह मंत्र पढे.
धुनी मंत्र-
|| धुनी धरे-धुआं करे,,तोह नव नाथ पधारे जो नाथ ना पधारे तोह शिव की जटा टूट भूमि में पड़े अदेश आदेश नव नाथों को आदेश ||





अब नौ दीपक को एक एक श्लोक पढ़ते हुए एक एक कर जलाये-

श्लोक 1.
आदिनाथ आकाश सम,सूक्ष्म रूप ॐकार तिन लोक में हो रहा,अपनी जय जय कार.
श्लोक 2.
उदय नाथ तुम पार्वती,प्राण नाथ भी आप धरती रूप सु जानिए मिटे त्रिबिध भव ताप
श्लोक 3.
सत्य नाथ है सृष्टि पति,जिनका है जल रूप,नमन करत है आपको स चराचर के भूप.
श्लोक 4.
विष्णु तो संतोष नाथ खांड़ा खड़ग स्वरूप राज सम दिव्य तेज है तिन लोक का भूप.
श्लोक 5 .
शेष रूप है आपका ,अचल अचम्भे नाथ आदि नाथ के आप प्रिय सदा रहे उन साथ 
श्लोक 6.
गज-वली गज के रूप है .गण पति कन्थभ नाथ,देवो में है अग्र तम सब ही जोड़े हाथ 
श्लोक 7.
ज्ञान पारखी सिद्ध है ,चन्द्र चौरंगी नाथ,जिनका वन-पति रूप है उन्हें नामाऊ माथ.
श्लोक 8.
माया रूपी आप है,दादा मछ्न्द्र नाथ,रखूं चरण में आपके ,करो कृपा मम माथ.
श्लोक 9.
शिव गोरक्ष शिव रूप है,घट-घट जिनका वास ,ज्योति रूप में आपने किया योग प्रकाश.




अब आप धुनी और दीपकों को जला चुके
है.अब् नव नाथ स्वरुप का ध्यान करके आशीर्वाद प्राप्त करे.

नवनाथ ध्यान मंत्र-
|| अदि नाथ सदा शिव है जिनका आकाश रूप,उदय नाथ पार्वती पृथ्वी रूप जानिए,सत्य नाथ ब्रह्मा जी जल रूप जानिए,विष्णु संतोष नाथ तिनका रूप मानिये,अचल है अचम्भे नाथ जिनका है शेष रूप,गजवली क्न्थभ नाथ हस्ती रूप मानिये,ज्ञान पारखी जो सिद्ध है वोह चौरंगी नाथ,अठार भर वनस्पति चन्द्र रूप जानिए,दादा गुरु श्री मछन्द्र नाथ जिनका है माया रूप,गुरु श्री गोरक्ष नाथ ज्योति रूप जानिए,बाल है त्रिलोक नव-नाथ को नमन करूँ,नाथ जी ये बाल को अपना ही जानिए ||







अब एक अद्वितीय तंत्र,मंत्र,यंत्र,जन्त्र,बंधन दोष एवं सर्व बाधा निवारण मंत्र दे रहा हु-

अभिचार-कर्म नाशक मंत्र-
ll राम नाम लेकर हनुमान चले,कहा चले चौकी बिठाने चले,चौकी बिठाके रात की विद्या दिन की विद्या चारो प्रहर की विद्या काटे हनुमान जती,मंत्र बाँध तंत्र बाँध जन्त्र बाँध रगड के बाँध,मेरी आण मेरे गुरू की आण,छु वाचापुरी ll


मंत्र का रोज मंगलवार से 108 बार जाप 21 दिन करना है.शाबर मंत्रो मे बाकी नियम नही होते है.मंत्र सिद्ध होगा & बभुत पर मंत्र को 11 बार पढकर 3 फुंक लगाये.अब बभुत को जिसपर तंत्र बाधा हो उसके माथे पर लगा दे तो पीडित के कष्ट दुर हो जायेगा.इस मंत्र से चौकी भी लगता है,बाधा भी कटता है और बंधन भी लगाया जाता है.यह हनुमत मंत्र मुझे गुरूमुख से प्राप्त हुआ है जो इस दुनिया के किसी भी किताब मे नही है.इस मंत्र से झाडा भी लगा सकते है और पानी मे पढकर भी दिया जा सकता है.






आदेश.......

-:गुरु स्तुति:-

-:गुरु स्तुति:- “गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः। गुरू साक्षात परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः॥ अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं ...