Tuesday 11 July 2017

सात्विक प्रेत

अमावस्या के दिन स्नान कर पूर्ण पवित्रता के साथ व्रत रखे, फलाहार करे और लाल वस्त्र धारण करें, सात्विक रूप से प्रेत का चिंतन करे, वो पूर्ण रूप से सहयोगी बन कर मेरे साथ मित्रवत रहे ,यही चिंतन आपके मन में होना चाहिए.रात्रि में पीपल वृक्ष के नीचे जाकर पीपल के पांच हरे पत्तों पर पूजा की पांच सुपारी रख कर उनमे प्रेत शक्ति का ध्यान किया जाना चाहिए , फिर लोहबान अगरबत्ती ,काले तिल और फूल अर्पित करें और पीपल के पत्तों पर ही दही चावल का भोग गुलाब जल छिड़क कर लगादे  और काली हकीक माला से वही खड़े खड़े ११ माला निम्न मन्त्र की करें.

मन्त्र- ॐ क्रीं क्रीं  सदात्मने भूताय मम मित्र रूपेण सिद्धिम कुरु कुरु क्रीं क्रीं फट्.

और मन्त्र जप के बाद प्रार्थना करे की आप मेरी रक्षा करे और मेरी मित्र रूप में सहायता करे , ये क्रम मात्र ३ अमावस्या तक आप को करना है अर्थात प्रत्येक अमावस्या को को मात्र ३ बार ऐसा करना है.३ अमावस्या को सद् रूप में भूत आपके सामने आकार आपकी सहायता का वचन देता है.और ३ वर्ष तक साधक के वश में रहता है.

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